सर्वप्रथम गाय का ऊर्जा विज्ञान
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सर्वप्रथम गाय का ऊर्जा विज्ञान –
एक मनुष्य 24 घंटे में 2000 कैलोरी भोजन के माध्यम से प्राप्त करता है एवं अपने मल मूत्र मशीन के माध्यम से 10% लगभग 200 कैलोरी छोड़ता है, शेष 1800 खर्च कर देता है। इसी प्रकार सभी जीव जंतु प्राणियों में होता है, परंतु देशी गाय जब धूप में मैदानों में चरती है, विचरण करती है। लगभग 5000 कैलोरी का भोजन करती है एवं अपने गोबर गोमूत्र एवं दूध के माध्यम से 10 गुना 50,000 कैलोरी हमें उपलब्ध कराती है। ऐसी गाय की संरचना ईश्वर ने बनाई है। ऐसी कोई मशीन, कोई वैज्ञानिक नहीं बन सकता है जो ऊर्जा को 10 गुना कर दे।
विषय है ऐसा कैसे होता है
ईश्वर ने देशी गाय के दो सीन्ग ऊपर की ओर बने हैं, गले में कंबल, कंधे में कुंबद, एवं सिंग से पीछे तक सूर्यकेतु नाडी बनाई है। गाय के सिंग तड़ित चालक के समान सूर्य, चंद्रमा, तारों से ऊर्जा को शोसित कर सूर्यकेतु के माध्यम से हमें दूध, गोबर, गोमूत्र में उपलब्ध कराती है। यह ऊर्जा कंधे के ऊपर कुम्बद में एकत्र होती है एवं जब गाय पागुर करती है तो लार के माध्यम से भोजन में मिल जाती है।
पंचतत्व का शोधन –
गाय के गोबर के माध्यम से भूमि तत्व का शोधन होता है। गोबर के कंडे की राख से भूमि का शोधन होता है।
जल शोधन - जब गए पेशाब करती है तो भाप बस वस्पीकरण के माध्यम से आसमान में बादल में मिल जाता है। मिलकर जल का शोधन होता है।
वायु का शोधन - देसी गाय के गोबर के कंडे जलाकर उसमें 10 ग्राम घी एवं चावल की आरती देने से 1 टन ऑक्सीजन का निर्माण कर वायु शुद्ध होती है।
आकाश तत्व गाय - जब मां शब्द का उच्चारण करती है तो आसमान में विभिन्न तरंगों के कारण प्रदूषण को समायोजित करती है।
अग्नि तत्व - गोबर के कंडे से जलने पर अग्नि तत्व समायोजित होता है।
मनुष्य के शरीर का शोधन - प्रतिदिन देसी गाय का गोमूत्र 15 से 30 मि.ली. प्रातः पानी से सेवन कर अथवा गौ अर्क का सेवन करें।
अग्निहोत्र करें - सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय नियमानुसार अग्निहोत्र करें। इसमें अग्निहोत्र भस्म को 50 ग्राम तीन लीटर पानी में डालकर 1 घंटे बाद छानकर पानी पिए या पीने के पानी में मिलाकर पिए।
अग्निहोत्र मंजन का उपयोग करें
2 किलो अग्निहोत्र भस्म, 500 ग्राम फिटकरी, 500 ग्राम सेंधा नमक, 500 ग्राम हल्दी , 200 ग्राम सरसों तेल, 1 लीटर गोमूत्र, 100 ग्राम कपूर, 100 ग्राम अजवाइन सभी पीसकर मिलाकर मंजन करें।
गौकृति बने - गौ रक्षा हेतु हम पंचगव्य, दूध, दही, मट्ठा, घी आदि गोमूत्र का सेवन कर। दीपावली, गणेश उत्सव, में गोबर से बनी मूर्तियां, दिया, धूपबत्ती, अगरबत्ती, संब्रानी कप, माला, रेडिएशन चिप आदि का उपयोग करें।
वास्तु दोष - घर में देसी गाय पालने से सभी प्रकार की वास्तु दोष ठीक होते हैं। घर में ऊर्जा का संचार होता है, पंचगव्य की प्राप्ति होती है। गाय ऑक्सीजन स्वास के द्वारा ग्रहण करती है एवं ऑक्सीजन ही छोड़ती है अतः घर में ऑक्सीजन का प्रतिशत बढ़ता है। देसी गाय के कंडे में प्रतिदिन 30 मिनट पैर रखें।
गौ आधारित कृषि करें - हमारे किसान भाई गोबर एवं गोमूत्र से विभिन्न तरीके से दवा, खाद बनाएं, स्प्रे करें, खेती में जहर एवं रसायन का प्रयोग ना करें। घर में गाय, बैल का पालन करें। जैविक अनाज उगाए, खाएं एवं आम जनता को विक्रय करें। ताकि समाज में विभिन्न बीमारियों से मुक्ति मिले एवं हमारे दवा का खर्च बचे।
देसी गाय की पहचान - वर्तमान में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए हम जर्सी एवं होलेस्टीन गाय पाल रहे हैं एवं उनके सीमेंस को देसी गाय की गर्भधान में उपयोग कर रहे हैं ऐसा ना करें । देसी गाय के गलकंबल, कुंबद, सिंग एवं पूछ से उसे पहचाने।- લિંક મેળવો
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